छत्तीसगढ़। कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के चलते सभी प्राइवेट एवं शासकीय विद्यालयों में साला प्रारंभ ना होने की वजह से विद्यार्थियों की भविष्य अंधेरे में चला गया है। प्रशासन के निर्देशानुसार गत वर्ष जो विद्यार्थी जिन जिन क्लास में अध्ययन कर रहे थे उन्हें जनरल प्रमोशन कर अगली कक्षा में प्रवेश भर्ती प्रक्रिया जारी है परंतु जरा सोचिए ऐसे में बच्चे की शिक्षा गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ेगा क्योंकि बिना परीक्षा के विद्यार्थी को अगली कक्षा में पढ़ाई करना मतलब अधूरी शिक्षा अर्जन करने जैसा है।
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाई हेतु शासन प्रशासन द्वारा ऑनलाइन साइट्स मुहैया कराई गई है परंतु जरा सोचिए सभी विद्यार्थियों के पालक आर्थिक रूप से संपन्न नहीं है अधिकतर विद्यार्थी गरीब वर्ग से आते हैं जिनके पास स्मार्टफोन की व्यवस्था (सुविधा) नहीं है। ऐसे में भला विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कैसे कर पाएगा ऑनलाइन पढ़ाई के लिए एक स्मार्टफोन का होना बहुत जरूरी है जबकि दो वक्त की रोटी व्यवस्था के लिए मुश्किल हो रही है तो वह अपने बच्चे के लिए स्मार्ट फोन कहां से लाकर दे सकता है।
ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल टावर नेटवर्क की उपलब्धता ना होने से अथवा नेटवर्क स्पीड सही ना होने की स्थिति में भी स्टूडेंट्स (students)ऑनलाइन पढ़ाई (online padhai) नहीं कर पा रहे हैं। पलक आखिर करे तो क्या करें दिन भर अपनी रोजमर्रा की कमाई एवं मजदूरी के लिए पालकों को निकलना पड़ता है तब जाकर अपने बच्चे का भोजन कपड़ा की व्यवस्था हो पाती है इधर बच्चे घर में खेल-खेल में ही अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। फिर हाल शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों को निशुल्क गणवेश एवं पाठ्य पुस्तक वितरण की जा चुकी है परंतु बिना शिक्षक के अध्ययन करना मुश्किल सा हो गया है।
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाई हेतु शासन प्रशासन द्वारा ऑनलाइन साइट्स मुहैया कराई गई है परंतु जरा सोचिए सभी विद्यार्थियों के पालक आर्थिक रूप से संपन्न नहीं है अधिकतर विद्यार्थी गरीब वर्ग से आते हैं जिनके पास स्मार्टफोन की व्यवस्था (सुविधा) नहीं है। ऐसे में भला विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कैसे कर पाएगा ऑनलाइन पढ़ाई के लिए एक स्मार्टफोन का होना बहुत जरूरी है जबकि दो वक्त की रोटी व्यवस्था के लिए मुश्किल हो रही है तो वह अपने बच्चे के लिए स्मार्ट फोन कहां से लाकर दे सकता है।
ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल टावर नेटवर्क की उपलब्धता ना होने से अथवा नेटवर्क स्पीड सही ना होने की स्थिति में भी स्टूडेंट्स (students)ऑनलाइन पढ़ाई (online padhai) नहीं कर पा रहे हैं। पलक आखिर करे तो क्या करें दिन भर अपनी रोजमर्रा की कमाई एवं मजदूरी के लिए पालकों को निकलना पड़ता है तब जाकर अपने बच्चे का भोजन कपड़ा की व्यवस्था हो पाती है इधर बच्चे घर में खेल-खेल में ही अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। फिर हाल शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों को निशुल्क गणवेश एवं पाठ्य पुस्तक वितरण की जा चुकी है परंतु बिना शिक्षक के अध्ययन करना मुश्किल सा हो गया है।